भूगोल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
भूगोल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

पृथ्वी की गतियाँ

 हमारी पृथ्वी दो प्रकार से गति कर रही है 

1-घूर्णन: पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती  है ,जिसे घूर्णन कहते है पृथ्वी को एक घूर्णन पूरा  करने मे 23 घंटे 56 मिनट4 सेकंड का समय लगता है ।पृथ्वी  की घूर्णन गति भूमध्य रेखा पर  सर्वाधिक 27.8 किलोमीटर प्रति मिनट है।

2-परिभ्रमण: पृथ्वी  सूर्य के चारो ओर घूमती है जिसे परिभ्रमण कहते है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर वामवर्त दिशा मे चक्कर लगाती है। पृथ्वी को सूर्य के चारो ओर एक  चक्कर लगाने मे 365.242 दिन का समय लगता है।  पृथ्वी की परिक्रमण गति 107226 किलोमेटर प्रति घंटा है।


शनिवार, 5 अक्टूबर 2024

कार्ल रिटर(1779-1859)








कार्ल रिटर(1779-1859)

कार्ल रिटर हम्बोल्ट के समकालीन भूगोलवेत्ता थे। वह प्रखर बुद्धि ,प्रतिभावान व्यक्ति थे। वो ईश्वर पर आस्था   रखता था। वह अनुभविक शोध मे विश्वास व्यक्त वाला, क्षेत्र- कार्य को मनाने वाला  भूगोलवेत्ता था ।उन्होने भूगोल को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप मे विकसित करने मे महत्तवपूर्ण योगदान दिया।
रिटर ने प्रादेशिक भूगोल मे तुल्नात्तमक विधि का शुरूवात किया।


विविधता मे एकता का नियम

रिटर ने विविधता मे एकता के आधारभूत नियम का विकास किया । मानव के आवास मे मूल -नियम जैविक एवं अजैविक घटक मे निहित आधारभूत एकता है ।

रिटर का नज़रिया यह था कि धरती के विभिन्न हिस्सों मे भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ मानव समाज के विकास और उनके इतिहास को प्रभावित  करती है । उन्होने भूगोल को  केवल स्थानों के विवरण के रूप मे नही देखा, अपितु इसे  मानवता और प्रकृति के बीच के संबंधों को समझने का एक महत्त्वपूर्ण साधन माना।

भूगोल मे  रिटर का सिद्धांत

1-भूगोल  का एतिहासिक दृष्टिकोण। 
2- पर्यावरणीय निर्धारणवाद
3-भौगोलिक एकताऔर  समग्र दृष्टिकोण।
4-मानव और प्रकृति संबंध
5-भूगोल और ईस्वर

रिटर कि रचनाए

1- एर्ड्कुन्डे  रिटर कि यह प्रमुख रचना थी जिसका अर्थ है  पृथ्वी का अध्ययन प्रक्रति और मानव इतिहास के संबन्ध मे इस पुस्तक मे  प्रमुख रूप से  यूरोप, एशिया और अफ्रीका के क्षेत्रो विश्लेषण किया  गया है।

2-यूरोप का एतिहासिक,भौगोल तथा संख्याकीय चित्रण 1804

3- यूरोप का प्राकृतिक संसाधनो के छ: 6 मानचित्र

4- काला तथा केस्पियन सागर के मध्य के प्रदेशों का मानव स्थानांतरण






शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

हम्बोल्ट की साहसिक यात्राए

हम्बोल्ट एक साहासिक यात्री था।साहसी हम्बोल्ट एक जगह बैठने  वाला व्यक्ति नही था उसका मानना था भूगोल प्रेक्षण ,अवलोकनोंऔर क्षेत्र कार्य के द्वारा ही अध्ययन किया जा सकता है

सन1800 मे हम्बोल्ट ने ओरिनीको नदी की खोज की और यह भी बताया की उसका अमेज़न से जुड़ाव है हम्बोल्ट ने स्थानो का सही  मापन लेकर अक्षांश देशांतर को स्थापित किया।

 हम्बोल्ट ने वायु के कम दबाव से चक्कर आने की स्थिति के अनुभव को स्पस्ठ किया था जैसा की हम जानते है की जैसे जैसे हम उचाई पर जाते है आक्सीजन की कमी होती है

हम्बोल्ट एंडीज़ को दक्षिण की ओर पार करते हुए लीमा पहुचे पेरु के तट पर गुआनाचिड़िया की बीट दिखी जो एक अच्छी खाद थी

सन1801 मे हम्बोल्ट कोलम्बिया आ गए जहा से एंडीज़ एक्वेडोर और पेरु गए  इस पहाड़ी इलाको की उचाई तापक्रम व वनस्पति का उन्होने वैज्ञानिक अध्ययन किया उसने एक्वेडोर के अनेकों ज्वालामूखी के क्रेटर मे उतर कर निस्रप्त गैसों का अध्ययन किया

सन 1829 मे हम्बोल्ट को रूसी जार , पिटसबर्ग मे आमंत्रित किया और यूराल पर्वतों के पार साइबेरिया कि अप्रयुक्तभूमि कि खोज का कार्य सौपा । हम्बोल्ट ओमसक ओरेनबर्ग और अस्तराखान से गुजरता हुआ कैस्पियन सागर के तटीय मैदानी भागो का सर्वेक्षण किया

अतएव हम्बोल्ट ने भूगोल के विभिन्न पक्षो अपना योगदान दिया।

 

 

सोमवार, 30 सितंबर 2024

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt)

 अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt)



एक प्रमुख जर्मन वैज्ञानिक, भूगोलवेत्ता, प्रकृतिवादी, और अन्वेषक थे, जिनका जन्म 14 सितंबर 1769 को हुआ था। उन्हें आधुनिक भूगोल और पारिस्थितिकी के संस्थापकों में से एक माना जाता है। उनका कार्य विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में फैला हुआ था, जिसमें वनस्पति विज्ञान, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) जीवविज्ञान, मौसम विज्ञान, भूविज्ञान, और खगोल विज्ञान शामिल थे।

हम्बोल्ट ने दक्षिण अमेरिका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक दुनिया के बारे में व्यापक शोध किया। उन्होंने वहाँ के पौधों, जानवरों, और भूगोल का गहन अध्ययन किया, और उनकी खोजों ने जैव-विविधता और पारिस्थितिकी की अवधारणाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने पहली बार यह अवधारणा दी कि प्राकृतिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में परस्पर संबंध होता है, और मानव क्रियाएँ पृथ्वी के पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकती हैं।

उनकी प्रमुख रचना "Kosmos" (कोस्मोस) थी, जो प्राकृतिक दुनिया की एकीकृत दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाला एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ था। हम्बोल्ट का विचार था कि प्रकृति एक अविभाज्य तंत्र है और सभी प्राकृतिक प्रक्रियाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं।

हम्बोल्ट की सोच और कार्यों ने कई वैज्ञानिकों, जैसे कि चार्ल्स डार्विन, पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने जलवायु और भूवैज्ञानिक मानचित्रण में भी बड़ा योगदान दिया और दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की जलवायु की पहचान की।

वह न केवल विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि मानव अधिकारों और स्वतंत्रता के समर्थक भी थे। उनके कार्यों ने विज्ञान के क्षेत्र में नए आयाम खोले और आधुनिक विज्ञान के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ विभिन्न विषयों पर आधारित थीं, जिनमें भूगोल, वनस्पति विज्ञान, मौसम विज्ञान, और पारिस्थितिकी शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:


अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ 

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ विभिन्न विषयों पर आधारित थीं, जिनमें भूगोल, वनस्पति विज्ञान,

मौसम विज्ञान, और पारिस्थितिकी शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:


1.      Kosmos: Entwurf einer physischen Weltbeschreibung (कोस्मोस: एक भौतिक विश्व का विवरण)

यह हम्बोल्ट की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह पाँच खंडों में प्रकाशित हुई थी और इसमें उन्होंने

 भौतिक और प्राकृतिक दुनिया का एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में ब्रह्मांड के

 विभिन्न पहलुओं, जैसे कि तारे, ग्रह, भूगोल, वनस्पति, और जलवायु का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है।

यह पुस्तक हम्बोल्ट की यात्रा और प्रकृति के अवलोकनों पर आधारित है। इसमें उन्होंने विभिन्न

 प्राकृतिक परिघटनाओं का वर्णन किया है, जैसे कि जंगल, पर्वत, और नदियाँ, और उनके

 पर्यावरणीय और जैविक प्रभावों पर चर्चा की है।


यह हम्बोल्ट की लैटिन अमेरिका की यात्रा का वृत्तांत है। इसमें उन्होंने अमेज़न नदी, एंडीज

 पर्वत, और लैटिन अमेरिका के अन्य भौगोलिक और पारिस्थितिक पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया

 है। यह पुस्तक यात्रा साहित्य और वैज्ञानिक रिपोर्टिंग का एक अद्भुत उदाहरण है।


यह पुस्तक हम्बोल्ट और फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री एम.ए. बोनप्लांट द्वारा लिखी गई है। इसमें

 उन्होंने पौधों की भौगोलिक वितरण के सिद्धांतों और विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में उनकी प्रजातियों पर

 प्रकाश डाला है। यह वनस्पति विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान है

इस रचना में हम्बोल्ट ने अमेरिका की भूगोलिक खोजों और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की

 आलोचनात्मक समीक्षा की। इसमें उन्होंने नई दुनिया की खोजों के दौरान भूगोल में

 आई प्रगति और गलतियों का विश्लेषण किया है।

इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने विभिन्न भौगोलिक और प्राकृतिक रूपों का वर्णन किया है, जो उन्होंने

 अपनी यात्राओं के दौरान देखे थे। इसमें उन्होंने प्रकृति के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे जंगलों, मैदानों और

 पर्वतों, के बारे में अपने अनुभव साझा किए हैं।

2.      Ansichten der Natur (प्रकृति के दृश्य)

3.      Personal Narrative of Travels to the Equinoctial Regions of the New Continent (अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की यात्रा का व्यक्तिगत वृत्तांत)

4.      Essai sur la géographie des plantes (वनस्पतियों का भूगोल)

5.      Examen critique de l'histoire de la géographie du Nouveau Continent

6.      Aspects of Nature (प्रकृति के विभिन्न रूप)

हम्बोल्ट की रचनाएँ प्रकृति के अध्ययन में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती हैं और आज

 भी विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। उनकी लेखनी न केवल वैज्ञानिक ज्ञान का एक

 स्रोत है, बल्कि प्रकृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता और उत्सुकता का प्रतीक भी है।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांत 

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांतों ने भूगोल और पर्यावरणीय विज्ञान के क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए। उन्होंने प्राकृतिक दुनिया का अध्ययन एक एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण से किया, जहाँ उन्होंने भौगोलिक, जलवायु, और पारिस्थितिक कारकों के परस्पर संबंधों को समझने का प्रयास किया। उनके कुछ प्रमुख भौगोलिक सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

1. प्रकृति की एकता का सिद्धांत

हम्बोल्ट का मानना था कि प्रकृति की सभी प्रक्रियाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। उन्होंने पहली बार यह अवधारणा दी कि पृथ्वी पर सभी जीवित और निर्जीव तत्त्व, जैसे जलवायु, भूमि, वनस्पतियाँ, और जानवर, एक जटिल तंत्र का हिस्सा हैं, जिसे समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। यह सिद्धांत पारिस्थितिकी और पर्यावरण विज्ञान की नींव बना।

2. जैव-भौगोलिक क्षेत्र और वनस्पतियों की ऊँचाई वितरण का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने पौधों और उनके भौगोलिक वितरण का गहन अध्ययन किया। उन्होंने यह सिद्धांत विकसित किया कि विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में पौधों का वितरण ऊँचाई और अक्षांश के अनुसार बदलता है। उन्होंने एंडीज पर्वत पर यह अध्ययन किया कि ऊँचाई के साथ वनस्पतियों का प्रकार कैसे बदलता है, जिससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन और ऊँचाई पौधों की विविधता और उनके वितरण को नियंत्रित करते हैं। इसे "ऊँचाई के साथ जैव विविधता का सिद्धांत" भी कहा जाता है।

3. जलवायु बेल्ट का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु का अध्ययन किया और यह समझा कि पृथ्वी के अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु के प्रकार एक जैसे होते हैं। उन्होंने पृथ्वी की सतह को जलवायु बेल्ट में विभाजित किया, जो तापमान, वायुमंडलीय दाब, और वनस्पतियों के अनुसार निर्धारित किए गए थे। उनके इस सिद्धांत ने बाद में मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान के विकास में बड़ी भूमिका निभाई।

4. इज़ोथर्म्स (Isotherms) का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने मौसम और जलवायु के अध्ययन में इज़ोथर्म्स (isotherms) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो ऐसे काल्पनिक रेखाएँ होती हैं जो समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ती हैं। उन्होंने वैश्विक तापमान वितरण का नक्शा तैयार किया और दिखाया कि अक्षांश और ऊँचाई के आधार पर तापमान कैसे बदलता है। यह सिद्धांत आधुनिक जलवायु विज्ञान का एक महत्वपूर्ण आधार बना।

5. मानव क्रियाओं का पर्यावरण पर प्रभाव

हम्बोल्ट उन पहले वैज्ञानिकों में से एक थे, जिन्होंने यह पहचाना कि मानव क्रियाओं का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विशेष रूप से वनों की कटाई, कृषि, और शहरीकरण के कारण होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों का अध्ययन किया और यह बताया कि ये क्रियाएँ जलवायु, जल स्रोतों, और पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित करती हैं। यह सिद्धांत बाद में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की अवधारणाओं का आधार बना।

6. भू-आकृतिक (Geomorphological) सिद्धांत

हम्बोल्ट ने पर्वतों, नदियों, और मैदानों की भू-आकृति का भी अध्ययन किया। उन्होंने पृथ्वी की सतह के रूपों और उनकी संरचना के विकास को समझने का प्रयास किया। उनके सिद्धांत भूविज्ञान और भू-आकृति विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान थे, खासकर तब, जब उन्होंने ज्वालामुखीय गतिविधियों और पृथ्वी की परतों के आंदोलनों पर शोध किया।

7. समानताएं और विभिन्नताओं का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने यह सिद्धांत भी प्रस्तुत किया कि समान अक्षांशों पर स्थित विभिन्न स्थानों में जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र में समानताएँ हो सकती हैं, जबकि विभिन्न अक्षांशों पर स्थित स्थानों में भौगोलिक विविधता होती है। उन्होंने यह दिखाया कि प्रकृति के अलग-अलग हिस्सों में परस्पर संबंध होते हुए भी, भौगोलिक विशेषताओं में क्षेत्रीय विविधताएँ होती हैं।

8. महासागरीय धाराओं और मौसम पर प्रभाव

हम्बोल्ट ने महासागरीय धाराओं का अध्ययन किया और यह दिखाया कि वे जलवायु और मौसम पर गहरा प्रभाव डालती हैं। उन्होंने हम्बोल्ट करंट की खोज की, जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ बहती है, और बताया कि यह करंट क्षेत्र के मौसम और मछली पालन को कैसे प्रभावित करता है।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांतों ने भूगोल, जलवायु विज्ञान, और पारिस्थितिकी के अध्ययन में नई दृष्टिकोणों को जन्म दिया। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण समग्र और अंतःविषय था, जिसने कई क्षेत्रों में आगे के शोध का मार्ग प्रशस्त किया।


साहित्य नोबल पुरस्कार 2024

 इस वर्ष का साहित्य का नोबल पुरस्कार साउथ कोरियाई लेखिका हेन कांग  को मिला है हेन कांग एक विलक्षण लेखिका है ।ये अपनी अनोखी और गहरी कहानियो क...