नात्सी जर्मनी की नीतियों और उनके
परिणामों पर चर्चा करते समय, हमें 1933
से 1945
तक की अवधि पर ध्यान केंद्रित करना होगा
जब एडोल्फ हिटलर और उसकी नात्सी पार्टी जर्मनी पर शासन कर रही थी। इस समय की
प्रमुख नीतियों और उनके परिणामों का विवरण इस प्रकार है:
नात्सी नीतियाँ
- एकलदलीय शासन और राजनीतिक विरोध का
दमन:
- नात्सी पार्टी ने सभी विपक्षी
दलों को निषिद्ध कर दिया और एकलदलीय शासन स्थापित किया।
- राजनीतिक विरोधियों, जैसे
कम्युनिस्टों और सोशल डेमोक्रेट्स,
को गिरफ्तार कर लिया गया, यातनाएँ
दी गईं और मारे गए।
- नस्लीय नीतियाँ और यहूदी विरोधी
अभियान:
- नात्सियों ने आर्यन नस्ल को
श्रेष्ठ मानते हुए गैर-आर्यन,
विशेषकर यहूदियों के खिलाफ, भेदभावपूर्ण
नीतियाँ अपनाईं।
- नूरेमबर्ग कानून (1935) ने
यहूदियों के नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया और उन्हें समाज से अलग कर
दिया।
- हिटलर की योजना के तहत
"अंतिम समाधान" (Final
Solution) के दौरान लाखों यहूदियों को
होलोकॉस्ट में मारा गया।
- आर्थिक नीतियाँ:
- बेरोजगारी को कम करने और आत्मनिर्भरता
बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक कार्य कार्यक्रम (जैसे ऑटोबान
निर्माण) शुरू किए गए।
- युद्ध अर्थव्यवस्था के लिए भारी
हथियारों का उत्पादन किया गया।
- सैन्य विस्तार और आक्रामकता:
- · वर्साय संधि की शर्तों का उल्लंघन
करते हुए जर्मनी ने पुनः सैन्यीकरण किया।
- हिटलर ने ऑस्ट्रिया का विलय (Anschluss) किया
और चेकोस्लोवाकिया के सूडेटलैंड पर कब्जा किया।
- 1939 में
पोलैंड पर आक्रमण के बाद द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया।
· प्रचार
और जनसंहार (Propaganda and Genocide):
- जोसेफ गोएबल्स के नेतृत्व में
प्रचार मंत्रालय ने नात्सी विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया और जनता को
प्रभावित किया।
- नात्सी शिक्षा प्रणाली और युवा
संगठन (Hitler Youth) का उपयोग युवा पीढ़ी को नात्सी
विचारधारा में दीक्षित करने के लिए किया गया।
नात्सी
नीतियों के परिणाम
- द्वितीय विश्व युद्ध:
- 1939 से
1945 तक चलने वाला युद्ध, जिसमें
लगभग 70-85 मिलियन लोग मारे गए, जिनमें
से अधिकांश नागरिक थे।
- यूरोप का व्यापक विनाश और विभाजन, विशेषकर
जर्मनी का विभाजन।
- होलोकॉस्ट:
- लगभग 6 मिलियन
यहूदियों और लाखों अन्य लोगों (जैसे रोमा, पोलिटिकल
प्रिजनर्स, और समलैंगिकों) की हत्या की गई।
- आर्थिक और सामाजिक विनाश:
- युद्ध के कारण जर्मनी की
अर्थव्यवस्था और संरचना को भारी नुकसान पहुँचा।
- लाखों लोग बेघर हो गए और शरणार्थी
बन गए।
- नात्सी नेताओं का न्याय:
- युद्ध के बाद नूरेमबर्ग ट्रायल
में प्रमुख नात्सी नेताओं को युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और
कई को फांसी दी गई।
- संयुक्त राष्ट्र का गठन:
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति
और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई।
- शीत युद्ध की शुरुआत:
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व
दो महाशक्तियों, अमेरिका और सोवियत संघ, में
बंट गया, जिससे शीत युद्ध की स्थिति
उत्पन्न हुई।
नात्सी जर्मनी की नीतियों का प्रभाव न केवल जर्मनी बल्कि पूरे विश्व पर पड़ा, और इनसे निकली त्रासदियों और विनाश के परिणामस्वरूप वैश्विक राजनीति और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव आए।
- यूरोप का व्यापक विनाश और विभाजन, विशेषकर
जर्मनी का विभाजन।