सोमवार, 30 सितंबर 2024

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt)

 अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt)



एक प्रमुख जर्मन वैज्ञानिक, भूगोलवेत्ता, प्रकृतिवादी, और अन्वेषक थे, जिनका जन्म 14 सितंबर 1769 को हुआ था। उन्हें आधुनिक भूगोल और पारिस्थितिकी के संस्थापकों में से एक माना जाता है। उनका कार्य विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में फैला हुआ था, जिसमें वनस्पति विज्ञान, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) जीवविज्ञान, मौसम विज्ञान, भूविज्ञान, और खगोल विज्ञान शामिल थे।

हम्बोल्ट ने दक्षिण अमेरिका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक दुनिया के बारे में व्यापक शोध किया। उन्होंने वहाँ के पौधों, जानवरों, और भूगोल का गहन अध्ययन किया, और उनकी खोजों ने जैव-विविधता और पारिस्थितिकी की अवधारणाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने पहली बार यह अवधारणा दी कि प्राकृतिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में परस्पर संबंध होता है, और मानव क्रियाएँ पृथ्वी के पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकती हैं।

उनकी प्रमुख रचना "Kosmos" (कोस्मोस) थी, जो प्राकृतिक दुनिया की एकीकृत दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाला एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ था। हम्बोल्ट का विचार था कि प्रकृति एक अविभाज्य तंत्र है और सभी प्राकृतिक प्रक्रियाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं।

हम्बोल्ट की सोच और कार्यों ने कई वैज्ञानिकों, जैसे कि चार्ल्स डार्विन, पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने जलवायु और भूवैज्ञानिक मानचित्रण में भी बड़ा योगदान दिया और दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की जलवायु की पहचान की।

वह न केवल विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि मानव अधिकारों और स्वतंत्रता के समर्थक भी थे। उनके कार्यों ने विज्ञान के क्षेत्र में नए आयाम खोले और आधुनिक विज्ञान के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ विभिन्न विषयों पर आधारित थीं, जिनमें भूगोल, वनस्पति विज्ञान, मौसम विज्ञान, और पारिस्थितिकी शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:


अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ 

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की रचनाएँ विभिन्न विषयों पर आधारित थीं, जिनमें भूगोल, वनस्पति विज्ञान,

मौसम विज्ञान, और पारिस्थितिकी शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:


1.      Kosmos: Entwurf einer physischen Weltbeschreibung (कोस्मोस: एक भौतिक विश्व का विवरण)

यह हम्बोल्ट की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह पाँच खंडों में प्रकाशित हुई थी और इसमें उन्होंने

 भौतिक और प्राकृतिक दुनिया का एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में ब्रह्मांड के

 विभिन्न पहलुओं, जैसे कि तारे, ग्रह, भूगोल, वनस्पति, और जलवायु का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है।

यह पुस्तक हम्बोल्ट की यात्रा और प्रकृति के अवलोकनों पर आधारित है। इसमें उन्होंने विभिन्न

 प्राकृतिक परिघटनाओं का वर्णन किया है, जैसे कि जंगल, पर्वत, और नदियाँ, और उनके

 पर्यावरणीय और जैविक प्रभावों पर चर्चा की है।


यह हम्बोल्ट की लैटिन अमेरिका की यात्रा का वृत्तांत है। इसमें उन्होंने अमेज़न नदी, एंडीज

 पर्वत, और लैटिन अमेरिका के अन्य भौगोलिक और पारिस्थितिक पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया

 है। यह पुस्तक यात्रा साहित्य और वैज्ञानिक रिपोर्टिंग का एक अद्भुत उदाहरण है।


यह पुस्तक हम्बोल्ट और फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री एम.ए. बोनप्लांट द्वारा लिखी गई है। इसमें

 उन्होंने पौधों की भौगोलिक वितरण के सिद्धांतों और विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में उनकी प्रजातियों पर

 प्रकाश डाला है। यह वनस्पति विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान है

इस रचना में हम्बोल्ट ने अमेरिका की भूगोलिक खोजों और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की

 आलोचनात्मक समीक्षा की। इसमें उन्होंने नई दुनिया की खोजों के दौरान भूगोल में

 आई प्रगति और गलतियों का विश्लेषण किया है।

इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने विभिन्न भौगोलिक और प्राकृतिक रूपों का वर्णन किया है, जो उन्होंने

 अपनी यात्राओं के दौरान देखे थे। इसमें उन्होंने प्रकृति के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे जंगलों, मैदानों और

 पर्वतों, के बारे में अपने अनुभव साझा किए हैं।

2.      Ansichten der Natur (प्रकृति के दृश्य)

3.      Personal Narrative of Travels to the Equinoctial Regions of the New Continent (अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की यात्रा का व्यक्तिगत वृत्तांत)

4.      Essai sur la géographie des plantes (वनस्पतियों का भूगोल)

5.      Examen critique de l'histoire de la géographie du Nouveau Continent

6.      Aspects of Nature (प्रकृति के विभिन्न रूप)

हम्बोल्ट की रचनाएँ प्रकृति के अध्ययन में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती हैं और आज

 भी विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। उनकी लेखनी न केवल वैज्ञानिक ज्ञान का एक

 स्रोत है, बल्कि प्रकृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता और उत्सुकता का प्रतीक भी है।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांत 

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांतों ने भूगोल और पर्यावरणीय विज्ञान के क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए। उन्होंने प्राकृतिक दुनिया का अध्ययन एक एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण से किया, जहाँ उन्होंने भौगोलिक, जलवायु, और पारिस्थितिक कारकों के परस्पर संबंधों को समझने का प्रयास किया। उनके कुछ प्रमुख भौगोलिक सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

1. प्रकृति की एकता का सिद्धांत

हम्बोल्ट का मानना था कि प्रकृति की सभी प्रक्रियाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। उन्होंने पहली बार यह अवधारणा दी कि पृथ्वी पर सभी जीवित और निर्जीव तत्त्व, जैसे जलवायु, भूमि, वनस्पतियाँ, और जानवर, एक जटिल तंत्र का हिस्सा हैं, जिसे समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। यह सिद्धांत पारिस्थितिकी और पर्यावरण विज्ञान की नींव बना।

2. जैव-भौगोलिक क्षेत्र और वनस्पतियों की ऊँचाई वितरण का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने पौधों और उनके भौगोलिक वितरण का गहन अध्ययन किया। उन्होंने यह सिद्धांत विकसित किया कि विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में पौधों का वितरण ऊँचाई और अक्षांश के अनुसार बदलता है। उन्होंने एंडीज पर्वत पर यह अध्ययन किया कि ऊँचाई के साथ वनस्पतियों का प्रकार कैसे बदलता है, जिससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन और ऊँचाई पौधों की विविधता और उनके वितरण को नियंत्रित करते हैं। इसे "ऊँचाई के साथ जैव विविधता का सिद्धांत" भी कहा जाता है।

3. जलवायु बेल्ट का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु का अध्ययन किया और यह समझा कि पृथ्वी के अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु के प्रकार एक जैसे होते हैं। उन्होंने पृथ्वी की सतह को जलवायु बेल्ट में विभाजित किया, जो तापमान, वायुमंडलीय दाब, और वनस्पतियों के अनुसार निर्धारित किए गए थे। उनके इस सिद्धांत ने बाद में मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान के विकास में बड़ी भूमिका निभाई।

4. इज़ोथर्म्स (Isotherms) का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने मौसम और जलवायु के अध्ययन में इज़ोथर्म्स (isotherms) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो ऐसे काल्पनिक रेखाएँ होती हैं जो समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ती हैं। उन्होंने वैश्विक तापमान वितरण का नक्शा तैयार किया और दिखाया कि अक्षांश और ऊँचाई के आधार पर तापमान कैसे बदलता है। यह सिद्धांत आधुनिक जलवायु विज्ञान का एक महत्वपूर्ण आधार बना।

5. मानव क्रियाओं का पर्यावरण पर प्रभाव

हम्बोल्ट उन पहले वैज्ञानिकों में से एक थे, जिन्होंने यह पहचाना कि मानव क्रियाओं का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विशेष रूप से वनों की कटाई, कृषि, और शहरीकरण के कारण होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों का अध्ययन किया और यह बताया कि ये क्रियाएँ जलवायु, जल स्रोतों, और पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित करती हैं। यह सिद्धांत बाद में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की अवधारणाओं का आधार बना।

6. भू-आकृतिक (Geomorphological) सिद्धांत

हम्बोल्ट ने पर्वतों, नदियों, और मैदानों की भू-आकृति का भी अध्ययन किया। उन्होंने पृथ्वी की सतह के रूपों और उनकी संरचना के विकास को समझने का प्रयास किया। उनके सिद्धांत भूविज्ञान और भू-आकृति विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान थे, खासकर तब, जब उन्होंने ज्वालामुखीय गतिविधियों और पृथ्वी की परतों के आंदोलनों पर शोध किया।

7. समानताएं और विभिन्नताओं का सिद्धांत

हम्बोल्ट ने यह सिद्धांत भी प्रस्तुत किया कि समान अक्षांशों पर स्थित विभिन्न स्थानों में जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र में समानताएँ हो सकती हैं, जबकि विभिन्न अक्षांशों पर स्थित स्थानों में भौगोलिक विविधता होती है। उन्होंने यह दिखाया कि प्रकृति के अलग-अलग हिस्सों में परस्पर संबंध होते हुए भी, भौगोलिक विशेषताओं में क्षेत्रीय विविधताएँ होती हैं।

8. महासागरीय धाराओं और मौसम पर प्रभाव

हम्बोल्ट ने महासागरीय धाराओं का अध्ययन किया और यह दिखाया कि वे जलवायु और मौसम पर गहरा प्रभाव डालती हैं। उन्होंने हम्बोल्ट करंट की खोज की, जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ बहती है, और बताया कि यह करंट क्षेत्र के मौसम और मछली पालन को कैसे प्रभावित करता है।

अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट के भौगोलिक सिद्धांतों ने भूगोल, जलवायु विज्ञान, और पारिस्थितिकी के अध्ययन में नई दृष्टिकोणों को जन्म दिया। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण समग्र और अंतःविषय था, जिसने कई क्षेत्रों में आगे के शोध का मार्ग प्रशस्त किया।


शनिवार, 28 सितंबर 2024

Moonlighting का मतलब होता है

 Moonlighting का मतलब होता है कि जब कोई व्यक्ति एक ही समय में अपनी मुख्य नौकरी के साथ-साथ दूसरी नौकरी या कार्य करता है, तो इसे "Moonlighting" कहा जाता है। इस शब्द का उपयोग खासकर तब किया जाता है जब व्यक्ति अपनी मुख्य नौकरी से अलग समय पर, आमतौर पर शाम या रात में, दूसरी नौकरी करता है।

उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति दिन में एक ऑफिस की नौकरी करता है और रात में फ्रीलांस काम या ट्यूशन पढ़ाता है, तो इसे "moonlighting" कहा जाएगा। कई बार ऐसा करने का कारण अतिरिक्त आय अर्जित करना होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है, खासकर अगर व्यक्ति की मुख्य नौकरी में इसके लिए अनुमति नहीं दी गई हो।

                                    भारत में moonlighting क़ानून

भारत में moonlighting को लेकर स्पष्ट कानून नहीं हैं, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि कंपनी की नीतियां, श्रम कानून, और कर्मचारियों के अनुबंध की शर्तें। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं जिनके आधार पर भारत में moonlighting को समझा जा सकता है:

1. कंपनी की नीतियाँ:

अधिकांश कंपनियों के पास अपने कर्मचारियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट में क्लॉज होते हैं, जिसमें यह शर्त होती है कि कर्मचारी को अन्य कोई नौकरी या व्यापार करने की अनुमति नहीं है, खासकर अगर यह कंपनी के हितों के खिलाफ हो या समय की प्रतिबद्धता पर असर डाले। इस तरह की नीतियां कर्मचारियों को मुख्य नौकरी के समय या उससे जुड़ी जानकारी का उपयोग कर दूसरी नौकरी करने से रोकती हैं।

2. कॉन्ट्रैक्चुअल ऑब्लिगेशन्स:

अगर कर्मचारी के अनुबंध में यह स्पष्ट है कि वह सिर्फ अपनी कंपनी के लिए ही काम करेगा और कोई अन्य कार्य नहीं करेगा, तो इस तरह की शर्तों का उल्लंघन करने पर कंपनी कानूनी कार्रवाई कर सकती है। कुछ कंपनियों में "Non-compete" या "Confidentiality" जैसे क्लॉज़ भी होते हैं, जो प्रतिस्पर्धात्मक व्यवसाय में moonlighting को प्रतिबंधित करते हैं।

3. इंडियन लेबर लॉ (भारत का श्रम कानून):

भारतीय श्रम कानूनों में, विशेष रूप से Factories Act, 1948 के तहत, किसी कर्मचारी के लिए एक ही समय में दो नौकरियां करना प्रतिबंधित है, क्योंकि यह काम करने के घंटे और आराम की अवधि से संबंधित है। इसके अलावा, ओवरटाइम और न्यूनतम वेतन जैसे मुद्दे भी इस पर लागू हो सकते हैं।

4. IT और अन्य क्षेत्र:

हाल के दिनों में, IT सेक्टर में moonlighting एक विवादित विषय बन गया है। कुछ IT कंपनियाँ अपने कर्मचारियों के moonlighting के खिलाफ हैं और इसे अनुबंध का उल्लंघन मानती हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में कई बड़ी IT कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को moonlighting से मना किया और इसे नैतिकता और उत्पादकता के लिए हानिकारक बताया। कुछ कंपनियों ने moonlighting करने वाले कर्मचारियों को निलंबित या बर्खास्त भी किया है।

5. उदाहरण:

हाल ही में कुछ कंपनियों ने अधिक लचीलेपन के साथ इस मुद्दे पर विचार किया है। Swiggy जैसी कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को नियमों के तहत moonlighting करने की अनुमति दी है, बशर्ते कि इससे कंपनी के काम पर कोई नकारात्मक असर न हो।

6. संभावित परिणाम:

  • कानूनी कार्रवाई: अगर कर्मचारी ने कंपनी की नीति का उल्लंघन किया है, तो कंपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है, जिसमें नौकरी से निकालना, कानूनी कार्रवाई, या वेतन कटौती शामिल हो सकती है।
  • क्लैश ऑफ इंटरेस्ट: अगर कर्मचारी दो कंपनियों के लिए काम करता है जो आपस में प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति में हैं, तो यह एक गंभीर नैतिक मुद्दा हो सकता है।

निष्कर्ष:

भारत में moonlighting मुख्य रूप से कंपनियों की नीति और अनुबंध पर निर्भर करता है। हालांकि, सरकार या श्रम कानून के तहत कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं, लेकिन कंपनियां अपने कर्मचारियों से संबंधित नियम बनाती हैं।

Friedrich Ratzel (फ्रेड्रिक रेटजेल) German geographer

 

Friedrich Ratzel (फ्रेड्रिक रेटजेल

एलेन चर्चिल सेम्पल

एलेन चर्चिल सेम्पल


मनुष्य पृथ्वी तल की उपज है

योहान वुल्फगांग फान गेटे

योहान वुल्फगांग फान गेटे 


योहान वुल्फगांग फान गेटे (Johann Wolfgang von Goethe) जर्मनी के सबसे प्रसिद्ध साहित्यकारों और विचारकों में से एक थे। उनका जन्म 28 अगस्त 1749 को फ्रैंकफर्ट में हुआ और 22 मार्च 1832 को उनका निधन हुआ। वे एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जो कविता, नाटक, दर्शन, विज्ञान, और राजनीति में समान रूप से सक्रिय थे।

गेटे के प्रमुख कार्यों में "फ़ॉस्ट" (Faust) विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसे दुनिया की महान काव्य-नाटकीय रचनाओं में से एक माना जाता है। इसके अलावा, उनकी प्रसिद्ध काव्य और गद्य रचनाओं में "द सॉरोज़ ऑफ़ यंग वेर्थर" (The Sorrows of Young Werther) भी है, जिसने युवा प्रेम और अवसाद की गहरी भावना को व्यक्त किया। यह उपन्यास उनकी प्रारंभिक प्रसिद्धि का मुख्य कारण बना।

गेटे ने साहित्य के साथ-साथ प्राकृतिक विज्ञान में भी उल्लेखनीय योगदान दिया, जिसमें रंग सिद्धांत (Theory of Colors) पर उनका कार्य भी शामिल है। वे प्रकृति और मानवीय अस्तित्व के गहरे पहलुओं का अध्ययन करते थे, और उनके कार्यों में दर्शन, विज्ञान और कला के अद्वितीय मिश्रण को देखा जा सकता है।


योहान वुल्फगांग फान गेटे का जीवन और कार्य कई विविध क्षेत्रों में फैला था। उनके जीवन और योगदान को गहराई से समझने के लिए निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गेटे का जन्म 1749 में एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता, जोहन्न कास्पर गेटे, एक शिक्षित व्यक्ति थे, जिन्होंने युवा गेटे को एक उत्कृष्ट शिक्षा दिलाई। गेटे ने कई विषयों में शिक्षा प्राप्त की, जैसे कानून, दर्शन, और साहित्य, और बाद में उन्होंने लीपज़िग और स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया।

2. प्रारंभिक रचनाएँ

गेटे की प्रसिद्धि उनकी प्रारंभिक रचना "द सॉरोज़ ऑफ़ यंग वेर्थर" (1774) से आई, जो उस समय की रोमांटिक भावना का प्रतीक बन गई थी। यह एक युवक की प्रेम कहानी है जो अपने असफल प्रेम और जीवन से निराशा के कारण आत्महत्या कर लेता है। इस उपन्यास ने गेटे को तत्कालीन साहित्यिक दुनिया में प्रसिद्धि दिलाई और रोमांटिक आंदोलन पर गहरा प्रभाव डाला।

3. फ़ॉस्ट (Faust)

गेटे का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली कार्य "फ़ॉस्ट" है, जिसे एक महान काव्य-नाटकीय कृति माना जाता है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें मुख्य पात्र, डॉ. फ़ॉस्ट, ज्ञान और शक्ति की लालसा में अपनी आत्मा शैतान (Mephistopheles) के हाथों बेच देता है। यह महाकाव्य मानवता के संघर्ष, महत्वाकांक्षाओं, और ज्ञान की खोज को गहराई से दर्शाता है। "फ़ॉस्ट" को दो भागों में विभाजित किया गया है, और इसका पहला भाग 1808 में प्रकाशित हुआ था जबकि दूसरा भाग गेटे की मृत्यु के बाद 1832 में प्रकाशित हुआ।

4. रंग सिद्धांत (Theory of Colors)

गेटे सिर्फ एक लेखक ही नहीं थे, बल्कि एक वैज्ञानिक भी थे। उनके रंग सिद्धांत (Theory of Colors) में उन्होंने यह तर्क दिया कि रंग प्रकाश और अंधकार के बीच के अंतःक्रिया के परिणाम होते हैं। उनका यह सिद्धांत न्यूटन के रंग संबंधी सिद्धांत से भिन्न था, और यद्यपि इसे वैज्ञानिक दुनिया में ज्यादा मान्यता नहीं मिली, यह कला और दृश्य रूप में महत्वपूर्ण बना रहा।

5. वेदांत और दर्शन

गेटे का दर्शन जीवन और प्रकृति के बीच की जटिलताओं और संबंधों पर केंद्रित था। उन्होंने जीवन में सहजता और प्राकृतिक सौंदर्य का गहरा अध्ययन किया और मानव अस्तित्व के गहरे प्रश्नों पर विचार किया। उनके कार्यों में विशेष रूप से प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम देखा जा सकता है, और वह प्रकृति को जीवन के विकास और परिवर्तन का प्रतीक मानते थे।

6. क्लासिक और रोमांटिक साहित्य

गेटे ने जर्मन साहित्य को एक नई दिशा दी। वे क्लासिसिज्म और रोमांटिसिज्म के बीच की कड़ी माने जाते हैं। उनके लेखन में न केवल क्लासिक साहित्य की संरचना और गहराई है, बल्कि रोमांटिक साहित्य की भावनात्मकता भी है।

7. राजनीतिक जीवन

गेटे का राजनीतिक जीवन भी उल्लेखनीय था। उन्होंने डची ऑफ़ वीमर (Duchy of Weimar) की सेवा की, जहाँ वे कई प्रशासनिक कार्यों में सक्रिय रहे। वेमर के दरबार में उनकी स्थिति ने उन्हें जर्मनी के साहित्यिक और सांस्कृतिक जीवन में गहरा प्रभाव डालने का मौका दिया।

8. गेटे का प्रभाव

गेटे के कार्यों ने न केवल जर्मन साहित्य पर, बल्कि विश्व साहित्य, कला, दर्शन और विज्ञान पर भी गहरा प्रभाव डाला। शिलर (Friedrich Schiller) जैसे समकालीन लेखकों के साथ उनकी मित्रता और उनके साथ की गई रचनात्मक सहयोग ने जर्मन साहित्य को समृद्ध किया। उनका प्रभाव यूरोप और अमेरिका में भी फैल गया और आज भी उन्हें एक महान बुद्धिजीवी और साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया जाता है।

9. निजी जीवन

गेटे का प्रेम जीवन भी जटिल था। उन्होंने कई प्रेम संबंधों में खुद को पाया, और यह उनके कई साहित्यिक कार्यों में परिलक्षित हुआ। "द सॉरोज़ ऑफ़ यंग वेर्थर" उनके खुद के अनुभवों से प्रेरित था। उन्होंने अंततः क्रिस्चियन वुल्पियस से विवाह किया, जिनसे उन्हें एक पुत्र हुआ।

10. मृत्यु और विरासत

गेटे का निधन 22 मार्च 1832 को हुआ, लेकिन उनकी साहित्यिक विरासत अमर है। उनका कार्य आज भी शिक्षाविदों, साहित्यकारों, और दार्शनिकों के बीच अध्ययन और चर्चा का विषय बना हुआ है।

गेटे का जीवन और कार्य मानवता के लिए एक अनमोल धरोहर है, और उनका प्रभाव आने वाली कई पीढ़ियों तक जारी रहेगा।








शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

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